Srinivasan Ramanujan Life After He Became 17 Years Old : गणित के क्षेत्र में सबसे बड़े उपलब्धि और सबसे ज्यादा उपलब्धि श्रीनिवास रामानुजन ने प्राप्त करी इन्होंने कम उम्र में ही इतिहास रच दिया 22 दिसंबर को हर साल मैथमेटिक्स डे मानते हैं क्योंकि उनका जन्म 22 दिसंबर 1887 में हुआ था इनका गणित के क्षेत्र में विशेष रूप से योगदान है आइये श्रीनिवास रामानुजन का गणित के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के बारे में विस्तार पूर्वक चर्चा करते हैं .
Srinivasan Ramanujan कौन थे ?
श्रीनिवास रामानुजन भारत देश के प्रतिभाशाली व्यक्ति थे जिनका जन्म 22 दिसंबर 1887 को तमिलनाडु के इरोड में हुआ था , रामानुजन ने 12 साल की कम उम्र में ही त्रिकोणमिति का ज्ञान हासिल कर लिया था यह किसी चमत्कार से कम नहीं था और वह वह 15 साल की कम आयु में ही जॉर्ज शूब्रिज कैर की ‘सिंओप्सिस ऑफ एलीमेंट्री रिजल्ट्स इन प्योर एंड एप्लाइड मैथमेटिक्स’ की उपलब्धि प्राप्त कर ली थी और उनकी 32 वर्ष की कम आयु में ही मृत्यु हो गई थी लेकिन उन्होंने कम आयु में ही गणित के क्षेत्र में अच्छी पकड़ बना ली थी वह भारत के विशेष गणितज्ञों में से एक थे .
1909 में रामानुजन का विवाह हुआ और उनका विवाह होने के बाद उनकी व्यक्तिगत परिस्थितियों और ज्यादा बिगड़ गई उनकी पत्नी भी रोजगार की तलाश करती थी और वह रामानुजन भी रोजगार की तलाश करते थे लेकिन उन्हें कई अवसर मिला कि वह किसी से मदद ले सकते हैं थे लेकिन उन्होंने किसी से मदद नहीं ली क्योंकि वह खुद ही सब कुछ करना चाहते थे .
श्रेणी | विवरण |
---|---|
पूरा नाम | श्रीनिवास रामानुजन |
जन्मतिथि | 22 दिसंबर 1887 |
जन्मस्थान | इरोड, तमिलनाडु, भारत |
प्रारंभिक शिक्षा | 12 वर्ष की आयु में त्रिकोणमिति का ज्ञान |
विशेष उपलब्धि | गणित में 4000 से अधिक सूत्र और प्रमेय विकसित किए |
सर्वाधिक योगदान | अपरिमेय संख्या, पाई, |
संघर्ष | आर्थिक तंगी, औपचारिक शिक्षा में बाधा, |
महत्वपूर्ण मोड़ | 17 वर्ष की आयु में गणितीय अनुसंधान और रुचि का आरंभ |
कैम्ब्रिज का सफर | 21 वर्ष की आयु में कैम्ब्रिज गए |
नोटबुक | तीन नोटबुक, |
व्यक्तिगत जीवन | 1909 में विवाह |
मृत्यु | 26 अप्रैल 1920 (32 वर्ष की आयु में) |
मृत्यु का कारण | तपेदिक (टीबी) |
विरासत | गणित के क्षेत्र में उनका योगदान |
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Srinivasan Ramanujan प्रारंभिक शिक्षा
भारत के रामानुजन का जन्म तमिल नाडू के छोटे गांव के मध्य वर्ग परिवार में हुआ था वह बहुत ही गरीब थे और उन्होंने गणित के क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान दिया उनका रुझान बचपन से ही गणित की क्षेत्र की ओर था वह कम उम्र में अपने से ज्यादा उम्र के बच्चों के सवाल गणित के आसानी से हल कर देते थे उन्होंने आर्थिक समस्या होने के कारण अपनी स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई नहीं की लेकिन उन्होंने अपने गणित की पढ़ाई कभी नहीं छोड़ी .
जब भी उन्हें फ्री का समय मिलता तो वह अपने गणित के सवालों को हल करते लेकिन उनके जीवन में 17 साल की आयु में एक नया मोड़ आया जिसकी वजह से उनका जीवन ही बदल गया उन्होंने भी अपने जीवन में कई संघर्षों का सामना किया , उन्हें गणित में इतना ज्यादा जुनून था कि वह 1904 में अंग्रेजी विषय में फेल हो गए जिसकी वजह से वह स्कॉलरशिप से पीछे हो गए और दुखी होकर उन्होंने अपनी पढ़ाई छोड़ दी कई बार असफलता मिलने के बाद उन्होंने आगे की पढ़ाई औपचारिक रूप से नहीं की .
Srinivasan Ramanujan गणित की क्षेत्र में योगदान
रामानुजन गणित के क्षेत्र में काफी ज्यादा निपुण और प्रतिभाशाली थे वह कम समय में आसानी से मुश्किल से मुश्किल गणित के सवालों को आसानी से हल कर देते थे यह प्रतिभा लोगों को समझ में आने लगी और वह उनकी प्रशंसा करने लगे लेकिन 17 साल की आयु में ही उनके जीवन में कई संगर्ष आए रामानुजन 21 वर्ष की आयु में कैम्ब्रिज गए जहां उन्हें ताल मेल बिठाने की समस्या और आर्थिक समस्या जैसी समस्याओं को सामना करना पड़ा उन्होंने गणित के क्षेत्र में अपरिमेय संख्या पाई पर महत्वपूर्ण योगदान दिया रामानुजन ने तीन नोटबुक छोड़ी जिसमे खोई हुई बुक है जिसमें 4000 से भी ज्यादा गणेश के सूत्र और उनके हाल हैं.
Srinivasan Ramanujan की मृत्यु
रामानुजन ने गणित के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया और आज भी उनकी कई गणित के सूत्र रहस्यमय है जिनका हल करना काफी मुश्किल है आज भी उनके सूत्रों पर खोज होती है उनकी मृत्यु कम आयु में ही हो गई थी जैसे ही वह कैंब्रिज के दौरान उन्हें टीवी नाम की एक बीमारी हुई थी और 1919 में भारत वापस लौटा और उसी के दौरान ही उनकी 32 वर्ष की आयु में मृत्यु हो गई थी .
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